Happy Friendship day
05 AUGUST 2018
Sunday, Bahadurgarh Haryana
Happy Friendship day- Friendship Nostalgia Feeling
https://bit.ly/2OGOV5w
आज सुबह जब आँख खुली तो मन
थोड़ा खुश
था , होगा भी क्यों नहीं प्राइवेट जॉब
करने वाले लोगो को संडे किसी फेस्टिवल से कम थोड़े लगता हैं |
फ़ोन चेक कियाँ तो १०० से व्हाट्सप्प मैसेज पड़े थे , मैंने मन मैं सोंचा की नरेंद्र मोदी नैं फिर कुंछ बैन तो नहीं कर दिया आज सबेरे सबेरे | ध्यान से देखा तो पता चला की आज तो फ्रेंडशिप डे हैं | मेरे जैसे unsocial पर्सन के फ्रेंड होते तब न याद रहता ये दिन , मुझे
तो अपना बर्थडे तक याद नहीं रहता |
अचानक फील होने लगा की लोग आज भी मुझे याद करते हैं | ध्यान से मैसेज पढ़ने पे पाया अधिख्तर फॉरवर्ड किये हुए मैसेज ही थे |
सही भी हैं इस भगति जिंदगी मैं
किसके पास टाइम है किसी के लिए मैसेज टाइप करने के लिए |
ये सब सोंच ही रहा था की पत्नी की
तेज आवाज़ आई की संडे है तो सोते ही रहोगे क्या ? आओ घर का कुंछ काम भी करा लो मेरे साथ | मन मैं सोचा मना तो कर नहीं सकता मैं क्यूंकि दोपहर और शाम का खाना भी तो
खाना था मुझे |
डाट भी तो नहीं सकता आजकल जो इक्वलिटी और फेमिनिज्म की हवा जो चली हैं | मैं मन मार के बोला , बताओ भाग्यवान क्या करना हैं | मैंने बोला मैं तो
संडे का इंतजार इसलिए ही करता हूँ की तुम्हारी हेल्प करा सकू | इतनी जल्दी आत्मसर्पण की उम्मीद तो पत्नी को भी नहीं थी , पर वो अपने विजय पे अंदर ही अंदर मुस्का रही होगी | गलती
उसकी भी नहीं हैं , क्यूंकि पुरे हफ्ते स्कूल जॉब करते करते
उसको भी तो एक संडे ही मिलता हैं | अब वो पहले के स्कूल नहीं रहे जिसमे आराम
की नौकरी हुआ करती थी , अब स्कूल का काम किसी कॉर्पोरेट कंपनी से कम नहीं हैं और वह
भी टारगेट का प्रेशर सुरु हो गया हैं |
सोंचा काम करते करते कुंछ गाने सुन लूँ तो F.M चालू किया तो गाने बज रहे था
भाग मिल्खा भाग , वैसे तो ये गाना काफी मोटिवेशनल हैं पर मन मैं सोंचा की हम कर क्या
रहे , भाग ही तो रहे हैं | पहले गाओं से शहर भाग के आये , फिर अपने डर से भांगे , भांगते
भांगते कब इतनी दूर चले आये पता ही नहीं चला | अब तो दोस्त, परिवार और जिंदगी सब पींछे
छूट गयी | मिला क्या चंद रुपये और कागज़ की कुंछ डिग्रीयां | शिकायत करें तो करें किस्से
क्यूंकि फैसला भी तो हमारा ही था | सोंचा था कुछ नया करेंगे कुछ हट के करेंगे , जिंदगी
को नया मोर देंगे , नया तो कुछ हुआ नहीं लेकिन पुराना ही सही से नहीं कर पायें |
चलो फ्रेंडशिप डे के बहाने ही सही पुराने हॉस्टल की लाइफ याद आ गयी , जब लोग
कई तरह से अपने दोस्तों को परेशां करते थे
पर एग्जाम टाइम मई मैडम भी करते थे , होस्टलर डे स्कॉलर की लड़ायें , वार्डन
से उलझना , मास्स बुंकिंग, स्ट्राइक सब आँखों के सामने फिल्म की तरह चलने लगी | मानो
मैं उस पल को फिर से जी रहा हूँ | IIIT (इलाहाबाद , झलवा ) के पराठे , अपने हॉस्टल
की वो पानी वाली दाल को अचानक चखने का मन करने लगा | पता नहीं क्यों वो पुराणी याद
नै मजबूर कर दिन मुझे लिखने को | सिर्फ इंजीनियरिंग ही नहीं M.B.A हॉस्टल की याद भी
आने लगी , लखनऊ I.E.T लोप स्टॉप की चाय ,
I.M.S हॉस्टल की शाम को वॉलीबॉल खेलना , सब
जैसे कल की ही तो बात हों |
लिखतें लिखतें कागज़ पर श्याही फैल रही
हो, पर मैं तो कमरे के अंदर बैठा हूँ और बारिश तो बहार हो रही हैं | तो कागज़ इतना गिला
क्यों हो रहा हैं आज - क्या ये मेरे आँशु, अरे नहीं लड़के नहीं रोते कभी वो तो टाइगर होते हैं, वो roar करते हैं बस
| हुअरी परवरिश ही ऐसी होती हैं की हम इमोशन को कभी नहीं दिखातें |
भगवान मेरे दोस्त जहा रहे खुश रहे और
दूसरों के जीवन खुशियां बाटें |
Happy Friendship day !
Bankim Chandra
Pandey
09455363824
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